पवन एक शहर में छोटी सी बुक शॉप चलाते हैं। स्कूल में चलने वाली किताबों के अलावा दूसरी सामान्य ज्ञान एवं कहानियों की किताबें भी रखते हैं। दुकान से इतनी आमदनी हो जाती है कि वह अपनी ज़रूरतों को किसी तरह पूरी कर लेते हैं। उनकी पत्नी रूपा घर संभालती हैं और घर एक बहुत अच्छे स्वभाव की महिला हैं। उनका एक लड़का सुमेर दसवीं क्लास में एक अंग्रेज़ी मीडियम स्कूल में पढ़ता है और इस वर्ष उसने बोर्ड की परीक्षा प्रथम श्रेणी में पास किया है।
पवन के परिवार में सुमेर के रिजल्ट के कारण एसी खुशी है जैसे ग्राहकों की भीड़ देखकर दुकानदार को होती है। और हो भी क्यों न, सुमेर इस परिवार की दो पुश्तों में पहला आदमी है जिसने दसवीं पास की और वह भी प्रथम श्रेणी में।
पवन को यह खुशी बर्दास्त करने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ रही थी जैसे पानी से भरे घड़े को सिर पर रखकर चलना। लोगों का तांता लग गया था उसके यहां, और सभी यही कह रहे थे कि पवन के अच्छे संस्कार से आज उसके घर पर यह खुशी है और पवन यह कह रहा था कि सुमेर की मेहनत का नतीजा है यह।
जैसे गर्मी की तेज धूप कुछ घंटों के बाद लोग भूल जाते हैं वैसे एक दो दिनों में ही सुमेर से मिलने आने वालों की संख्या भी कम हो गई और परिवार का जीवन भी सामान्य हो गया। आज लगभग दस दिन हो गए रिजल्ट के और पवन को आपनी बात पूरी करने का वक्त आ गया। उसने सुमेर को परीक्षा के पहले कहा था की यदि वह प्रथम श्रेणी से पास हो जाएगा तो वह उसे प्राइम मॉल ले जायेगा और वहां से एक स्पोर्ट्स शूज, टी शर्ट और फूड कोर्ट में खाना खिलाएगा। प्राइम मॉल शहर का एक नामी मॉल है जो अच्छे ब्रांड्स के चीजों के लिए जाना जाता है और यह काफ़ी महंगा भी है।
कल पवन सपरिवार प्राइम मॉल जाने वाला है और इसके लिए उसने एक टैक्सी भी बुक की है क्योंकि यह मॉल करीब १० किमी है उसके घर से। पवन बहुत खुश है की आज उसे ऐसा मौका मिला है।
सुमेर जब इस प्रोग्राम का पता चला की कल वह सबके साथ प्राइम मॉल जाने वाला है तो उसकी तो नींद ही उड़ गई। वह अपनी खुशी बांटने के लिए उतावला था। उसने अपने सभी दोस्तों को इस प्रोग्राम के बारे में बताया और कहा की वापस आकर मैं तुम सबको अपना अनुभव बताऊंगा। सुमेर को आज नींद कहां आने वाली थी। जब मन में उथल पुथल होती है तो नींद वैसे ही गायब हो जाती है जैसे नदी की तेज़ लहरों पर से कीट पतंगे। रात तो जैसे हिल ही नहीं रहा, समंदर की विस्तार की तरह अंतहीन। सुमेर ने कल के अपने प्रोग्राम को एक पेपर पर लिखने लगा, ये सोचकर की नींद आ जायेगी।
किसी तरह सवेरा हुआ और घर में एकाएक एक नई गति आ गई। सभी लोग बहुत खुश और ऊर्जावान लग रहे थे। पवन ने सुमेर से पूछा, तैयारी है न मॉल जाने की। सुमेर ने कहा, बस समय का इंतजार कर रहा हूं, मेरी लिस्ट तैयार है। पवन ने कहा, बस नाश्ता करके निकलते हैं। पवन ने नाश्ता भी बाहर से मांगा लिया और सभी ने नाश्ता करके कैब के आने का इंतज़ार कर रहे थे।
कैब ड्राइवर ने अपने आने का कॉल किया और सब सभी कैब में सवार होंगे। मॉल का रास्ता करीब ३० मिनट का होगा। कैब में गाना सुनते हुए और मॉल के बारे में सोचते, पता ही नही चला कब मॉल आ गया।
मॉल की भारी भरकम बिल्डिंग और लाइटें देखकर सभी बहुत उत्साहित थे। रूपा ने भी अपनी एक लिस्ट बनाई है जो उसे आज के मौके पर चाहिए। रूपा, सुमेर की सफलता से बहुत खुश थी। सुमेर मॉल की दुकानों को देखने में तल्लीन था और खूब आनंद ले रहा था।
शॉपिंग के बाद वह सभी फूड कोर्ट में आए और चारों तरफ तरह खाने का जो बाजार लगा था उसमें खो से गए। इतने प्रकार के खाने तो उसने आज तक न ही सुना था और न ही खाया था। सुमेर ने कई खाने के सामानों के नाम भी नोट किए अपने मित्रों को बताने के लिए।
फूड कार्ट से वापस आते समय उसने एक किताब की बहुत बड़ी स्टोर देखी। वह दुकान में घुसा और तमाम तरह के किताबों को देखकर बिल्कुल दंग रह गया। उसे अब घर जाने का बिल्कुल मन नहीं था। उसे यह जानकर और भी अच्छा लगा की इस दुकान में बैठ कर जितने जाए उतने किताबें पढ़ सकता है। उसने मम्मी पापा को कहा की वह अब इस किताब की दुकान में कुछ देर रहेगा और इसलिए अगर उन्हें कोई और काम हो तो वह उसे करें।
मम्मी पापा ने कहा ठीक है, तुम किताबें देखो, हम लोग घूमते हैं। सुमेर ने खूब किताबें देखी, पढ़ी और नोट भी की उनके कुछ डिटेल्स।
आज सुमेर एक जिले का कलेक्टर है और उसके ऑफिस में, पॉकेट में बस एक ही तस्वीर होती है और वह है अपने माता पिता की। उसने अपने माता पिता से जिंदगी को ईमानदारी और मेहनत से कैसे खुशी से जी सकते हैं वह सिखाया। उसे आज भी अच्छी तरह याद है कि कैसे उसके मेट्रिक पास होने पर उसके माता पिता ने अपने सीमित साधन में भी शानदार तरीके से खुशियां मनाई और उसके सभी शौक उस दिन पूरे किए। मेट्रिक रिजल्ट का दिन याद करके आज भी उसके आंखों में आंसू आ जाते हैं।
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