Wednesday, January 4, 2023

उम्ले (जेल्मो)... एक ईश्वरीय मानव

इशमा एक शिकारी है और पहाड़ों के बीच एक छोटे से गांव में रहता है। उसका खाना और जीवन जंगलों में ही है और इसलिए अक्सर वह जंगल में ही रहता है। उसके पास सुनाने के लिए अनगिनत कहानियां हैं। वह सुनसान पहाड़ों, नदियों और जंगलों में घूमता हुआ अपने शिकार करता है और आसपास की दुनिया को समझता है।
हमेशा की तरह आज भी वह एक नदी के किनारे जा रहा था , जो घने जंगल के बीच एक खाई से होकर बहती है। इस नदी को देख पाना आम लोगों के लिए असंभव ही है, क्योंकि लगभग पूरा नदी का हिस्सा पेड़ों से ढका हुआ है और बिना घाटी में उतरे, उस नदी तक पंहुचना लगभग असंभव है।
वह अपने शिकार की तलाश में इधर उधर देखता हुआ चल रहा था। इतने में उसने एक पत्थर, जो पेड़ों से ढका था, उसमें रोशनी देखी। उसे भरोसा नहीं हुआ, और वह और नजदीक गया। उसने देखा, पत्थर में एक आदमी के जाने जैसी जगह है। उसे बहुत उत्सुकता हुई उसमें घुस कर देखने की। वह जंगलों से बिल्कुल घबराता नहीं था। वह उस बड़ी दरार में घुस गया।

अंदर कुछ दूर तक तो अंधेरा था फिर बीच बीच में थोड़ी रोशनी आ रही थी। वह आगे बढ़ता गया। थोड़ी देर में वह एक बड़े से गलियारे में आ गया जो बहुत विशाल था। चारों ओर पत्थर के खंभे थे और बीच में एक खुली जगह थी आंगन जैसी जिसमें एक कुआं था। उन गलियारों में कई द्वार थे, जो कहां जाते थे उसका पता करना बहुत मुश्किल था। वह आंगन में कुंए के पास पंहुचा गया। यहां रोशनी तो थी मगर आसमान नहीं दिखता था।
थोड़ी देर में एक मानव जैसा जीव आया, जिसके हाथ तो थे मगर उंगलियां नहीं थी। पैर भी हाथी की तरह थे और उंगलियां साफ नहीं थी। शरीर मानव के तरह ही था। उसकी आवाज सुनाई नहीं दे रही थी, मगर मूंह चल रहा था।
वह उसके पास गया और सवाल पूछने के अंदाज में उससे पूछा, कौन हैं आप ? उसने मुस्कराते हुए कहा ठीक हूं। उसे बहुत ही आश्चर्य हुआ की वह उसकी भाषा समझता है मगर शरीर अलग है। उसे यह बहुत अच्छा लगा कि वह उससे बात कर सकता है। 
उसने मानव से पूछा, आपका नाम क्या है? उसने हंसते हुए कहा, उम्ले। फिर उसने पूछा, आप पुरुष हैं या स्त्री। वह हंसने लगा और कहा, हम ऐसे ही हैं सब एक जैसे, तुम्हारी तरह लिंग भेद नहीं है। हम खुद कई बन सकते हैं, जब भी जरूरत पड़ी। और तुरंत ही उसके तीन हिस्से हो गए और तीनों वैसे ही, एक जैसे। तीनों हंसते हुए बोले, देखा? और अगले पल ही एक हो गया।

इशमा को ऐसा लग रहा था जैसे वह किसी और ग्रह पिंड पर आ गया है। उसने उम्ले से पूछा, आप हमारी भाषा कैसे जानते हो? उम्ले ने हमेशा की तरह मुस्कराते हुए बोला, हम कोई भी भाषा समझ सकते हैं क्योंकि हम तुम्हारे अंदर मौजूद हैं, जहां विचार बनते हैं और तुम उसे व्यक्त करते हो, वह पूरा रास्ता हमें पता है, तुम इसे भाषा कहते हो, हमारे लिए यह सिर्फ एक शारीरिक हरकत है, और इससे ज्यादा कुछ नहीं।

इशमा ने तुरंत पूछा, आपको हमारे आने का पता कैसे चला। हमेशा की तरह, मुस्तराते हुए उम्ले ने कहा, हम अपनी इच्छा से एक बड़े जगह पर उपस्थित रहते हैं और इसलिए हमें तुम्हारे बारे में पता तो तब ही चल गया था जब तुम नदी के किनारे इस तरफ आ रहे थे। यदि हम चाहते तो तुम यहां आते ही नहीं, क्योंकि हम यह विचार तुम्हारे मन में ला सकते हैं। लेकिन मुझे तुमसे मिलना था, इसलिए तुम यहां हो।
हम जहां भी चाहें उपस्थित रह सकते हैं, एक ही समय में कई जगह। 

इशमा के मन में यह जिज्ञासा हुई कि ऐसे कितने लोग हैं , और इनकी मृत्यु कैसे होती है। उसने उम्ले से कहा, बस मुझे एक सवाल का जवाब और दे दीजिए की आप जैसे और कितने लोग यहां रहते हैं और आप की मृत्यु कैसे होती है।

उम्ले ने कहा, हम बस एक ही हैं, मुझे कई होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि हम सर्वव्यापी हैं और हमारी मृत्यु नहीं होती है। हम बस यह रूप छोड़ देते हैं, अपनी इच्छा पर। हम नष्ट नहीं होते, तुम्हारी तरह।

इतना सुनकर, इशमा ने उससे विदा लिया और वापस आ गया।

उसने कई बार कोशिश की उस जगह पर फिर से जाने की, परंतु उसे उस जगह की सारी बातें एक भूले हुए सपने की तरह, याद ही नहीं आती, की वह स्थान कहां है, नदी के किस तरफ वह पत्थर था, आदि।

शायद अब वह वहां तभी पंहुच सकता है जब उम्ले की इच्छा होगी, जैसा उम्ले ने उसे कहा था। वह उम्ले में सर्वव्यापी ईश्वर को देखता है, क्योंकि वह ईश्वर के सभी गुण उसमें देख रहा था। मन ही मन वह बहुत खुश भी था की उसे ईश्वर ने स्वाभाविक रूप में दर्शन दिया।



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